...

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आज का वक़्त
नफरतो के इस दौर में हम,
चलो प्यार की फसल उगाते हैँ!

माँ बाप अब तन्हा हो रहे हैँ
बेटे भी जॉब की डोली में विदा हो जाते हैँ!

रिश्तो से मिठास गायब हो रही,
अब तो शुगरफ्री खाने के सामान भी आते हैँ

आँगन छोटा था मगर रौनके कम न थी,
अब बड़े बड़े फ्लैट्स में रिश्ते गुम हो जाते हैँ!

पब्जी गेम की भीड़ में बचपन खो गया,
लुकाछिपी, चोर सिपाही खेल आंसू बहाते हैँ!

छत्त की मुंडेरे बड़ी सूनी हो गयी हैँ,
अम्मा के अचार के मर्तबान वहां नहीं जाते हैँ!

टूटे रिश्ते का दम घुटता जा रहा है,
उन्हें गले लगा प्यार की ऑक्सीजन दे आते हैँ!

© सुनीता जायसवाल