...

3 views

एक शाम नए शहर की

कुछ अरमान लिए चला था गांव से,
जब पहुंचा तो शाम हो गई थी वहां पे।
शहर की लंबी चौड़ी सड़कों और चमकते मकानों ने कहा हो जैसे ,
कहां से आए हो तुम!
यहां कौन है जिसे खोजने आए हो तुम!
यहां ना कोई अपना है और जो दिख रहा है वो सपना है।
आए अगर सपनों की खातिर, तो खुद को ही खो देना है।
चमकते जगमगाते हुए रास्तों में अक्सर खो जाती है जिंदगी,
भटकते हैं इंसान और रोती है जिंदगी।
बड़े खुदगर्ज है लोग यहां, कैसे गुजरेगे जिंदगी। तंग गलियों में रहना आसान नहीं, तुम आ तो गए यहां,पर कैसे काटोगे जिंदगी?

© Dr. Urvashi Sharma

Related Stories