करे.....क्या
यूं हिजर् काटे हुए हमको एक ज़माना हुआ
नींदो को हम से शिकायत है करे क्या
दरियाओं सहराओं कि पाबंदी देखिए
खुद भी कितनी प्यासी है करे क्या
मुकद्'दर मालूम है हमें अपना
तमन्नाएं आती जाती है करे क्या
बस गई है निगाहों में वो सूरत कैसी
उसे दिल से खेलने कि आदत है करे क्या
हो गए हैं नासूर वो ज़ख़्म सारे
ऐ भी एक रिवायत है करे क्या
© Narender Kumar Arya
नींदो को हम से शिकायत है करे क्या
दरियाओं सहराओं कि पाबंदी देखिए
खुद भी कितनी प्यासी है करे क्या
मुकद्'दर मालूम है हमें अपना
तमन्नाएं आती जाती है करे क्या
बस गई है निगाहों में वो सूरत कैसी
उसे दिल से खेलने कि आदत है करे क्या
हो गए हैं नासूर वो ज़ख़्म सारे
ऐ भी एक रिवायत है करे क्या
© Narender Kumar Arya