...

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~कर्मफल~
प्रकृति प्रदूषणम् कलङ्क मानव करती।।

फल स्वरूपं भोगिन् अस्ती।।

सर्वदा तू आघात कुर्वन्ति।।

काल- श्रेणी विपरीत कर्मफलयन्ति।।

सर्व विनाशाय अवकाशम् ददाति अस्ती।।

-शाहेब
- @Saheb2204
Dated-18th APR, 2020
#Handwrittenpoem #संस्कृत(Sanskrit)
#selfdestruction
#"ForEveryActionThereIsEqualAndOppositeReaction"