आग़ाज़....
चलो आज कुछ
अनसुने अनकहे
जज़्बात लिखती हूँ
उस सहमी सी दबी आवाज़ की
आवाज़ लिखती हूँ
कसमसाई सी
भरभराई सी
चरमराई सी
हर वो बात लिखती हूँ
चलो आज उस अहसास का
हर राज़ लिखती हूँ
कल की आई वो लड़की
भूलभुलैया में भुलाई वो लड़की
नए रिश्तों की
कुछ खटास
कुछ मिठास में
चुनवाई गई वो अशर्फ़ी पर
कोई किताब लिखती हूँ
चलो...
अनसुने अनकहे
जज़्बात लिखती हूँ
उस सहमी सी दबी आवाज़ की
आवाज़ लिखती हूँ
कसमसाई सी
भरभराई सी
चरमराई सी
हर वो बात लिखती हूँ
चलो आज उस अहसास का
हर राज़ लिखती हूँ
कल की आई वो लड़की
भूलभुलैया में भुलाई वो लड़की
नए रिश्तों की
कुछ खटास
कुछ मिठास में
चुनवाई गई वो अशर्फ़ी पर
कोई किताब लिखती हूँ
चलो...