...

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अब क्यूं नही है...
नींद से उठने को जी नही करता, मुझे सुबह का इंतजार अब क्यूं नही है।
रात का अंधेरा सुकून देता है, मुझे उजालों से प्यार अब क्यूं नही है।
और ढूंढती है मेरी नज़र जिस चेहरे को हर जगह हर कहीं,
ख्वाबों में आता है हर रात, पर हकीकत में उसका दीदार अब क्यूं नही है।
© Nick's_Thoughts