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दो किनारा
मैं
खामोशी
से
रिश्ते
निभाता
गया
छुप-छुप
के
उनसे
प्यार
जताते
गया
वो
जान
न
सकी
मेरे
अहसास
को
वो
देख
न
सकी
मेरे
जज्बात
को
वो
समझ
न
सकी
मेरे
प्यार
को
फिर
भी
मैं
खुद
के
जीवन
में
आगे
बढ़ते
गया
वो
अपने
जीवन
में
आगे
बढ़ते
गई
उनके
रास्ते
अलग
थे
मेरे
रास्ते
अलग
थे
फिर
भी
मै
सारे
प्रेम
के
फर्ज
निभाता
गया
© Sudhirkumarpannalal Pratibha
खामोशी
से
रिश्ते
निभाता
गया
छुप-छुप
के
उनसे
प्यार
जताते
गया
वो
जान
न
सकी
मेरे
अहसास
को
वो
देख
न
सकी
मेरे
जज्बात
को
वो
समझ
न
सकी
मेरे
प्यार
को
फिर
भी
मैं
खुद
के
जीवन
में
आगे
बढ़ते
गया
वो
अपने
जीवन
में
आगे
बढ़ते
गई
उनके
रास्ते
अलग
थे
मेरे
रास्ते
अलग
थे
फिर
भी
मै
सारे
प्रेम
के
फर्ज
निभाता
गया
© Sudhirkumarpannalal Pratibha
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