...

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तकदीर में नहीं था वो मेरे....
तक़दीर में नहीं था वो मेरे ,
तकदीर में नहीं था वो मेरे ....
अपनी किस्मत से लड़ के उसे अपना मुकद्दर बना रहे थे हम ,
वो तो मोहब्बत करता ही नहीं था मुझसे ...
और यहां उसके इश्क़ में दीवाने हो रख्खे थे हम।
वो तो प्यार करता ही नहीं था मुझसे....
और यहां उसके लिए अपने दिल में जगह बना रहे थे हम।
उसकी बातों मी घुली मिठास थी ,
चेरे पे एक अलग ही मुस्कुराहट थी ......
पर मेरे लिए नहीं थी वो मुझे क्या पता था....
वो तो मुझसे इश्क़ करता ही नहीं था ...
और यहां अंधेरी रातो में उसके लिए शम्मा जला रहे थे हम।
तक़दीर में नहीं था वो मेरे ,
फिर भी अपनी किस्मत से लड़ के उसे अपना मुकद्दर बना रहे थे हम....
वो तो मोहब्बत करता ही नहीं था मुझसे ,
और यहां उसके लिए अपना दिल सजा रहे थे हम .....
उसके इश्क़ में इस्कादर दीवाने हो रखे थे हम.........