...

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गुलाबी शाम
गुलाबी शाम में हरी घटा छाई थी
जब मेरे दिल की बात जुबान पर आई थी

पतझड़ के मौसम में भी सुकून की नींद आई थी
जब चांदनी रात में तेरी याद आई थी

आसमान में भयानक बिजली कड़कडाई थी
जब तेरी रूह मेरी रूह से मिलने आई थी

घनघोर अंधेरे में भी तेरे इश्क की रोशनी जगमगाई थी
जब तेरी आंखों की कशिश ने मेरे दिल में ज्योत जगाई थी।