...

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चांद
जब मिले फुर्सत तुम्हें
इतने सारे सितारों से
आ जाना खिड़की पर हमारे
मिलने हमारे विचारों से
महीनें में सिर्फ एक दिन
दिखते हमें तुम पूरे से
बाकी दिनों ये चांद हमारे
रहते क्यों हो अधुरे से
जब तुम छुप जाते हो गगन में
दिल मे अंधेरा छा जाता
इतनी दुरी सोच कर
मन हमारा घबरा जाता
इक कर लो फुर्सत सबसे
आकर बैठो पास हमारे
फिर बतलाएं अपने हम
दिल की ख्वाहिश सारे।।