...

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बोल
तिल का तार ,
राई का पहाड़ ,
बाल की खाल,
बनाने से ना आते हम बाज हैं।

वक्त बेवक्त समय की फिक्र छोड़ छाड़
जैसे बिन मौसम बरसात
कितने जतन करे यार ?
थाह ही नहीं पाते हर बार ।

बात तो ये भी है
कि बात का होता ना एक सार हर बार,
और ,
बातों का होता ना एक प्रभाव
भाव भंगिमा लगाती नैया पार ।

ये समय समय की बात है
होती हर समय के साथ है ,
समय समय की बात है
नीतिपर्ता सामाजिक परिवर्तन की बात है
नैतिकता बदलती समय के साथ है ।

बात किसी से करो ना करो
आप से आप मिलते रहना
बाते आप से करते रहना ।

सहचर जो मिले साथ
वाह! वाह! क्या बात ।
कहनी है जो बात कही
स्थान स्थिति समय का ध्यान आप रखो ।
आपने और अपनों से आप मिलते रहो
अपनी बातें करते रहो ।


© Vatika
#nameit