मेरी पहचान क्या जानते हो।
मेरे किरदार पर अगर सवाल हो तो।
आपसे नज़राना चाहता हूं।।
अभी तलक तो कुछ ख़ास पता नही तुम्हे भी।
आओ अपने बारे में थोड़ी और फितरत बताना चाहता हूं।।
कभी हमारे नाम से भी महफिलें सुकसत हुआ करती थी।
कभी गलियारे में दोस्ती और मोहब्बत दोनो रंगो में नहाती थी।
नस और नज़्म की बात ही क्या है।
कभी हमारे नाम से भी दुश्मनी हुआ करती थी।
आज फिर एक बार वही इतिहास...
आपसे नज़राना चाहता हूं।।
अभी तलक तो कुछ ख़ास पता नही तुम्हे भी।
आओ अपने बारे में थोड़ी और फितरत बताना चाहता हूं।।
कभी हमारे नाम से भी महफिलें सुकसत हुआ करती थी।
कभी गलियारे में दोस्ती और मोहब्बत दोनो रंगो में नहाती थी।
नस और नज़्म की बात ही क्या है।
कभी हमारे नाम से भी दुश्मनी हुआ करती थी।
आज फिर एक बार वही इतिहास...