कोई अपना सा...
अपनों की तालाश में गुम सी जाती हूँ, भूल ही जाती हूँ अपने दिल की धड़कन,
चोट बहुत लगती है, क्योंकि पत्थर दिल तो हूँ नही मैं... दिल में प्यार ही बस्ता...
चोट बहुत लगती है, क्योंकि पत्थर दिल तो हूँ नही मैं... दिल में प्यार ही बस्ता...