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खुद की तलास
चलो खुद में खुद को ढूंढते है
औरो की बात करते करते थके नहीं क्या !
औरों को तलाश ते थके नहीं क्या!
चलो खुद में खुद को ढूंढते है।
कभी देखे बहुत सपने थे वो पूरे हुए क्या !
अरमान जो पाले थे वो छूट गए क्या!
क्या पाया क्या खोया !
चलो खुद में खुद को ढूंढते है।
उम्र ज्यादा हो रही है या कहूं कम हो रही है!
पानी को मुट्ठी में पकड़ पाई क्या !
हवा का वेग तूफ़ानी जवानी ने रोका क्या !
कुछ पल रुकिए !
चलो खुद में खुद को ढूंढते है।
भाव ढूंढते रहे या सच्चाई तलासते रहे !
खुद को कभी समय दिया क्या !
उमंग उत्साह ही जेवान है ये किसी को दिखाया क्या !
बदल दो अब भी रास्ता !
चलो खुद में खुद को तलासते है।
देखा है आजाद पंछियों को !
कैदी हाथी जैसे महाबलियों को !
कभी खुद के मन को भी आजाद किया क्या !
दोस्ती और प्यार को खूसबू की तरह बांधा क्या !
कल क्या हो यह मालूम किसको है !
चलो खुद में खुद को ढूंढते है।
कभी समय को मुट्ठी में कैद किया क्या !
उम्र जो पल पल में जर जर हो रही रोक पाए क्या !
बीता हुआ यह लम्हा वापस लौट कर आयेगा क्या !
आज बिखेर ले अपने अस्तित्व की खुशबू!
चलो खुद में खुद को ढूंढते हैं।
औरो की बात करते करते थके नहीं क्या !
औरों को तलाश ते थके नहीं क्या!
चलो खुद में खुद को ढूंढते है।
कभी देखे बहुत सपने थे वो पूरे हुए क्या !
अरमान जो पाले थे वो छूट गए क्या!
क्या पाया क्या खोया !
चलो खुद में खुद को ढूंढते है।
उम्र ज्यादा हो रही है या कहूं कम हो रही है!
पानी को मुट्ठी में पकड़ पाई क्या !
हवा का वेग तूफ़ानी जवानी ने रोका क्या !
कुछ पल रुकिए !
चलो खुद में खुद को ढूंढते है।
भाव ढूंढते रहे या सच्चाई तलासते रहे !
खुद को कभी समय दिया क्या !
उमंग उत्साह ही जेवान है ये किसी को दिखाया क्या !
बदल दो अब भी रास्ता !
चलो खुद में खुद को तलासते है।
देखा है आजाद पंछियों को !
कैदी हाथी जैसे महाबलियों को !
कभी खुद के मन को भी आजाद किया क्या !
दोस्ती और प्यार को खूसबू की तरह बांधा क्या !
कल क्या हो यह मालूम किसको है !
चलो खुद में खुद को ढूंढते है।
कभी समय को मुट्ठी में कैद किया क्या !
उम्र जो पल पल में जर जर हो रही रोक पाए क्या !
बीता हुआ यह लम्हा वापस लौट कर आयेगा क्या !
आज बिखेर ले अपने अस्तित्व की खुशबू!
चलो खुद में खुद को ढूंढते हैं।
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