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खा़मोश इश्क़ की सदा
जब ख़ुश है वो अपनी ख़ुशियों में,
तो मैं ग़म को आवाज़ क्यों दूं।
जब जीवन ही सूना हो चला है,
तो ख्वाहिशों के हाथों में साज़ क्यों दूं।

दूरियां ही दूरियां मुक़द्दर हैं जब हमारी मोहब्बत का,...