...

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समय :
समय की क्या बात करू,
ये स्वयं अर्थ बताता है,
कल से कहा, आज खड़ा है,
इसी अंतर को बतलाता है...

समय है साहब, स्वयं अर्थ बताता है...

जब गौर से देखा जीवन को ,
क्षण भर खुद को रोक लिया,
किस क्षण में मैंने क्या किया,
खुद को खुद से जोड़ लिया...

समय स्वयं बतलाता है की,
कल में आज क्या अंतर है,
दो घड़ियो के बीच घटित जो,
वही समय का अंतर है...

चलो तुम्हें ले चलते हैं हम,
यहीं आज समझाने को,
समय निकल जाता है कैसे,
कविता के संग बतलाने को...

पूर्व कल में सूर्योदय से, सुप्रभात का पता चला,
और जब जंगल चर के घर गाय आईं, तब संध्या का भी पता चला,
तारो ने भी की रोशनी, आसमान जगमगा उठा,
चंदा मामा निकल पड़े जब, तबी रात का पता चला...

समय बढ़ा फिर थोड़ा आगे,
माह ऋतू के ज्ञान स्वरूप,
हुआ आकलन मौसम का फिर,
जब ऋतुओं का बना दस्तूर,

ऋतुएं छोटी कालखंड है,
मौसम को दर्शाती है,
माह उन्ही से पता लगाते,
ये...