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शराबी और उसका परिवार

शराबी और उसका परिवार

दिन दीवाली का था हम सुबह से खुश थे
माँ सीता की तरह बच्चे लव और कुश थे
सारा सामान था जलने और जलाने का
कुछ पटाके अच्छे थे तो कुछ फुस थे
एक रात पहले ही सब पापा लाये थे
दीवाली नहीं बनी हमारी पापा पी कर(शराब) आये थे।


एक सुबह ऐसी थी कुछ अच्छा होना था
परिणाम आना था कुछ तो होना था
मेरी खुशियों का ठिकाना...