आज़ादी :एक समीक्षा
शूरवीरों के खून की लालिमा जब छा गई आसमान पर,
नभ ने बरसाया स्वतंत्रता संदेश,
आज़ादी का सुरूर था छाया हर भारतीय महान पर।
उदेश्य निहित था संविधान में,
बिना शति पहुंँचाये किसी को आजा़दी की हवा में सांस ली जाएगी,
मुख पर ख़ुशी ,दिल में सुकून लिऐ,
स्वर्ण अक्षरों में,
गाथा आज़ादी की लिखी जायेगी।
वक़्त बीता लालिमा आज़ादी की
बदलती गई अनगिनंत सुलगते मुदों की कालिमा में,
करो आत्म मंथन, भारत पर चिंतन
क्या ये आबो हवा
सही मायनों में आज़ाद कहलाएगी?
जब कोई निर्भया इज्ज़त...
नभ ने बरसाया स्वतंत्रता संदेश,
आज़ादी का सुरूर था छाया हर भारतीय महान पर।
उदेश्य निहित था संविधान में,
बिना शति पहुंँचाये किसी को आजा़दी की हवा में सांस ली जाएगी,
मुख पर ख़ुशी ,दिल में सुकून लिऐ,
स्वर्ण अक्षरों में,
गाथा आज़ादी की लिखी जायेगी।
वक़्त बीता लालिमा आज़ादी की
बदलती गई अनगिनंत सुलगते मुदों की कालिमा में,
करो आत्म मंथन, भारत पर चिंतन
क्या ये आबो हवा
सही मायनों में आज़ाद कहलाएगी?
जब कोई निर्भया इज्ज़त...