.......अब बस है ......
*अब बस है*
क्या घातक दौर है
और बढ़ते कोरोना का प्रकोप
बढ़ती मौत की संख्या
और चारो तरफ़ ऑक्सीजन की खोज ,
खासना हुआ दूभर
और छींकना संदेह से भरपूर
बढ़ते तापमान से डर है
और बे - उमर मौत का खौफ
वाह ! क्या अजीब दिन हैं ये
और क्या बेहतरीन तरीका आया है ,
कि बस दूरी ही एकमात्र सहारा है
सैनिटाइजर से स्नान कर ,
मास्क से सोलह श्रृंगार कर जीवन बचाना है
दूध और जूस का स्वाद छोड़
काढ़ा के सेवन को अपनाना है ,
क्योंकि हमने अपने परेशानी को
खुद इतना घातक बनाया है
परहेज़ को अनदेखा करने वाले हम लोगों ने ,
उसकी कीमत को पहचाना हैं
और आज बस खुद पे आफ़त आन पड़ी तब ,
अपने किए कर्मों का हमें हो रहा पछतावा है
क्यूंकि अब सब पहुंच चुका हमारे संभाल के बाहर है और
खुद के बिछाए जाल में हम खुद ही बने रक्षक संग भक्षक हैं
और ये सब चलते रहेगा तब तक
जब तक प्रकृति नहीं कह देती कि
*अब बस है*।
Smriti Trivedy
© All Rights Reserved
क्या घातक दौर है
और बढ़ते कोरोना का प्रकोप
बढ़ती मौत की संख्या
और चारो तरफ़ ऑक्सीजन की खोज ,
खासना हुआ दूभर
और छींकना संदेह से भरपूर
बढ़ते तापमान से डर है
और बे - उमर मौत का खौफ
वाह ! क्या अजीब दिन हैं ये
और क्या बेहतरीन तरीका आया है ,
कि बस दूरी ही एकमात्र सहारा है
सैनिटाइजर से स्नान कर ,
मास्क से सोलह श्रृंगार कर जीवन बचाना है
दूध और जूस का स्वाद छोड़
काढ़ा के सेवन को अपनाना है ,
क्योंकि हमने अपने परेशानी को
खुद इतना घातक बनाया है
परहेज़ को अनदेखा करने वाले हम लोगों ने ,
उसकी कीमत को पहचाना हैं
और आज बस खुद पे आफ़त आन पड़ी तब ,
अपने किए कर्मों का हमें हो रहा पछतावा है
क्यूंकि अब सब पहुंच चुका हमारे संभाल के बाहर है और
खुद के बिछाए जाल में हम खुद ही बने रक्षक संग भक्षक हैं
और ये सब चलते रहेगा तब तक
जब तक प्रकृति नहीं कह देती कि
*अब बस है*।
Smriti Trivedy
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