...

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क्या कभी आजाद हो पाऊंगी मैं ?
उन सूनी सड़कों से चलकर ,
क्या सुरक्षित घर पहुंच पाऊंगी मैं ?
उन लोगों की नजरों में क्या छोटे कपड़े पहन कर गिर जाऊंगी मैं ?
डर है मेरे मन में इस आजाद देश में भी
क्या कभी चैन से सांस ले पाऊंगी मैं ?

कभी आग से,कभी तेजाब से,कभी जला डाला मुझे
आखिर क्या थी गलती मेरी,कोई तो बता दो मुझे
उन अखबारों के बीच दबकर रह गई चीख मेरी
आंसू भी सूख गए मेरे धरती पर गिरते ही

उन मोमबत्तीयों के बुझते ही मेरे दर्द को भूल जाएंगे
मुझे अखबारों में पढ़ मेरी मां के आंसुओं की कीमत पूछी जाएगी
पर अब नहीं चुप रहूंगी मैं
तोड़ उन जंजीरों को पिघला दूंगी मैं
भूल मत तू अबला नहीं,शक्ति और नारी हूं मैं
नारी शक्ति का प्रकोप सबको दिखलाऊंगी में ..

#JusticeForManishaValmiki
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