औरत का दर्द
साढे़ चार बजे के अलार्म के साथ,
मशीन की तरह उठ जाती ,
उठने के साथ ही,
मशीन की तरह घर के सारे काम निपटाती,
अपने बच्चों को स्कूल के लिए उठाना,
स्कूल के लिए बच्चों को तैयार करने से लेकर,
उन्हें नाश्ता करवाना, उनके बैग समेटना,
बच्चों के लिए टिफिन तैयार करना,
फिर बच्चों को लेकर, स्कूल के लिए निकलना,
हर दिन की यही थी रूपरेखा,
इस दौड़ा भागी में,
स्वयं कभी नाश्ता न कर पाती।
कभी...
मशीन की तरह उठ जाती ,
उठने के साथ ही,
मशीन की तरह घर के सारे काम निपटाती,
अपने बच्चों को स्कूल के लिए उठाना,
स्कूल के लिए बच्चों को तैयार करने से लेकर,
उन्हें नाश्ता करवाना, उनके बैग समेटना,
बच्चों के लिए टिफिन तैयार करना,
फिर बच्चों को लेकर, स्कूल के लिए निकलना,
हर दिन की यही थी रूपरेखा,
इस दौड़ा भागी में,
स्वयं कभी नाश्ता न कर पाती।
कभी...