...

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हम अपनी औकात दिखा ही देते हे।
जिदंगी इतनी आसान कहा हे
हर दिन एक एक सांस के लिए लड़ना पड़ता हे
तब जाके कही दिन गुजरता है।
पता हे ही नहीं कौनसी सांस के लिए इस जिदंगी से जंग हार जायेंगे फिर भी लड़ते हे पूरा दम लगा कर ।
सुबह होते ही शुरू हो जाते हे दिखाने जाती का रुतबा , नाम का रोब और श्याम तक किसी न किसी के सामने हमारी औकात बडी हो जाती है ।
श्याम तक हम दूसरे को औकात दिखाते दिखाते एक बार अपनी दिखा ही देते हे ।
© मेरे शब्द मुफ्त के हे क्युकी इनकी सही कीमत कोई नही लगा सकता है ।