From the depth of the soul......
कभी फुलों पर कहानी लिखी थी!
हां, इक ग़ज़ल सुहानी लिखी थी!
बेरुखी, बेखुदी और थी बेबसि भी
तूने जो दी वो निशानी लिखी थी!
तेरे बगैर दिन थोड़े से पागल,
और ये...
हां, इक ग़ज़ल सुहानी लिखी थी!
बेरुखी, बेखुदी और थी बेबसि भी
तूने जो दी वो निशानी लिखी थी!
तेरे बगैर दिन थोड़े से पागल,
और ये...