...

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दूर कोई जा रहा।🍂
कल जाना है शहर
मगर नहीं है वो वहां।
वो कहां नहीं भला,
मगर नहीं है साथ वो।
मिल रही है सजा,
कब कटेगी क्या पता।
बेगाना मैं पल में हुआ,
ऐसा भी मेरा क्या गुनाह।
क्या तुम्हें पता नहीं,
दिल का है सब करा धरा,
इसमें मेरी खता नहीं।
इंतजार है फिर भी हमें,
है दूर कोई जा रहा।
खुश है बिछड़ के या दुखी,
मुझको नहीं बता रहा।
उसका यूं ऐसे रूठना,
हमको नहीं है भा रहा।

© Prashant Dixit