...

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!! प्यारा बसंत अब आने को हैं !!
!! प्यारा बसंत आने को है !!

अलसाई सी आंखों में अब
सुंदर दृश्य समाने को हैं
प्रेमवश दुल्हन बनकर
वसुधा फिर इतराने को है

गूँज रही हैं अब चहुँ ओर
पत्तों की खनखन की शोर
सुनापन बस जाने को हैं
नव जीवन अब आने को हैं

तृण पर ओस की बूँदें गिरकर
संभल रही मोती बनकर
अंतिम प्रेम जताने को हैं
किरणों संग खो जाने को हैं

ऋतुराज के स्वागत में
पथ पुष्पित हो जाने को हैं
विविध रंगों में घुल-मिलकर
सौंदर्य उन्मुक्त हो जाने को हैं

पुष्पसार से सिंचित होकर
चित्त आनंद जगाने को हैं
रंग-गुलाल से सराबोर हो
प्यारा बसंत अब आने को हैं।