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गिर गयी हूँ मैं फिर से

गिर गयी हूँ मैं फिर से,
जैसे गिरती थी हर बार,
उठ नही पा रही हूँ फिर से,
हो गयी मैं पृथ्वी निराकार।

अशुद्धियां ढूंढती हूँ खुद में,
माना मैं ना हूँ युग प्रवर्तक,
गलतियों से ही सीखा है मैंने जीना,...