टूटते-बिखरते सपने
न जाने कैसी किस्मत हाथ आई है,
स्नातक के साथ बेरोजगारी भी
साथ आई है,,
नौकरियों के दौर तो चले गए,
ये तो
टूटते-बिखरते सपनों की
सरकारी खैरात आई है ,,
कुछ बादल क्या छाए आसमान में,
और ढकां बजने लगा कि
बरसात आई है,,
स्नातक के साथ बेरोजगारी भी
साथ आई है,,
नौकरियों के दौर तो चले गए,
ये तो
टूटते-बिखरते सपनों की
सरकारी खैरात आई है ,,
कुछ बादल क्या छाए आसमान में,
और ढकां बजने लगा कि
बरसात आई है,,