...

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हृदय की अवर्णनीय लालसा
#लालसा_की_प्रतिध्वनि
हृदय के किसी कोने में,
कुछ तो याद बाकी है ,
तड़फकर जो की थी हमने,
वो फरियाद बाकी है,

पाने को कुछ था हृदय में,
खोने को जो काफी था ,
बार- बार आंधी सी आए ,
कुछ तो बात बाकी है ,

शांत हृदय में शोर करे जो,
ऊंची लहरें काफी हैं,
इन लहरों में फंसी है...