ये कैसा इश्क़..!
वो दूसरे के होकर,
अपनी खुशी का ठिकाना ढूंढते गए..!
हम सच जान कर भी
अपनी आंखें मूंदते गए..!
झूठी चाहत थी उनके दिल में,
हम सब जानते थे..!
वो गैरों पर थे...
अपनी खुशी का ठिकाना ढूंढते गए..!
हम सच जान कर भी
अपनी आंखें मूंदते गए..!
झूठी चाहत थी उनके दिल में,
हम सब जानते थे..!
वो गैरों पर थे...