मरहम
मरहम
ज़रूरी तो नही हर ज़ख्म पर मरहम लगाया जाए
क्यूँ न कुछ ज़ख्मों को कुरेद कर नासूर बनाया जाए
वो नासूर जो दिन रात पल पल हर साँस पर दुखता जाए
और याद दिलाए वो सबक जो उस ज़ख्म के साथ आए
रुह काँप जाए याद...
ज़रूरी तो नही हर ज़ख्म पर मरहम लगाया जाए
क्यूँ न कुछ ज़ख्मों को कुरेद कर नासूर बनाया जाए
वो नासूर जो दिन रात पल पल हर साँस पर दुखता जाए
और याद दिलाए वो सबक जो उस ज़ख्म के साथ आए
रुह काँप जाए याद...