डर कैसा?
जबतक हम एक दूसरे को जानते नहीं थे,
हम सोचते थे की वो कौन होगा जिसको हम अपना कहेंगे, और अब जब एकदूसरे से जान पहचान बढ़ गयी तो ये डर कैसा?
कभी किसी पे आंखे मूंद कर भरोसा नहीं किया,
और आज जब वो भरोसेमंद मिल गया तो ये डर कैसा?
कभी सोचा ना था की कोई मुझे इतना टूट कर प्यार...
हम सोचते थे की वो कौन होगा जिसको हम अपना कहेंगे, और अब जब एकदूसरे से जान पहचान बढ़ गयी तो ये डर कैसा?
कभी किसी पे आंखे मूंद कर भरोसा नहीं किया,
और आज जब वो भरोसेमंद मिल गया तो ये डर कैसा?
कभी सोचा ना था की कोई मुझे इतना टूट कर प्यार...