वह भटक रहा ,एक पथिक बना
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
वह भटक रहा ,एक पथिक बना ,
जो कंद मूल को ग्रहण किए ,
जीवन शैली अपनाया है,
देखा लगता दूर से ही ,
सिया राम चंद्र संग आए है ।
चढ़ा गेरुआ रंग शरीर पर ,
श्यामल शीत शरीर लुभावन,
करत नाश निशा चारो के धनुष बाण,
वो देखो सिया राम चंद्र संग आए है ।
© @खामोश अल्फाज़ ©A.k
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
वह भटक रहा ,एक पथिक बना ,
जो कंद मूल को ग्रहण किए ,
जीवन शैली अपनाया है,
देखा लगता दूर से ही ,
सिया राम चंद्र संग आए है ।
चढ़ा गेरुआ रंग शरीर पर ,
श्यामल शीत शरीर लुभावन,
करत नाश निशा चारो के धनुष बाण,
वो देखो सिया राम चंद्र संग आए है ।
© @खामोश अल्फाज़ ©A.k