...

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आखिरी रास्ता
आखिरी रास्ता अंत नहीं है,
ये एक नई शुरुआत है।
उजले सवेरे से पहले की,
काली स्याह रात है।
लोभ - मोह - काम - क्रोध,
छोड़ जीवन के सारे शोध।
जो भी हो मोक्ष के अवरोध,
हटा दे सब, जब हो जाए बोध।
लौकिक ज्ञानी तो है तू,
पारलौकिक भी बन।
धारा के प्रवाह में,
डूबने का ना कर चयन।
भक्ति नौका में बैठकर,
पतवार को चलाना है।
और कोई साथ ना जाएगा,
जहां तुझे जाना है।
असीम अनुकंपा नाथ की,
उन पर तेरे विश्वास की।
पहला पग बस तू धर ले,
शेष यात्रा है उनके साथ की।


© Naina