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मेरा दीप
मेरा दीप प्रज्जवलित होकर
उजाला करता है चारों ओर
खूद जल कर दूसरो को रोशन करता है वो हर रोज।
दुसरो को रोशन वो करता पर
खुद जीवन मे उसके अंधेरा है
मेरा दीप जीवन में पता नहीं क्यों अकेला है।
काश बन जाऊं मैं मेरे दीप की लौ
कर दूं उसे भी प्रकाश की लौ से भरपूर।
चाहे जो भी हो मेरा दीप सबसे प्यारा है
क्योंकि भरता वो सबके जीवन में उजाला है।
उजाला करता है चारों ओर
खूद जल कर दूसरो को रोशन करता है वो हर रोज।
दुसरो को रोशन वो करता पर
खुद जीवन मे उसके अंधेरा है
मेरा दीप जीवन में पता नहीं क्यों अकेला है।
काश बन जाऊं मैं मेरे दीप की लौ
कर दूं उसे भी प्रकाश की लौ से भरपूर।
चाहे जो भी हो मेरा दीप सबसे प्यारा है
क्योंकि भरता वो सबके जीवन में उजाला है।
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