क्या इसलिए कि वो नारी रही ?
क्या इसलिए कि वो नारी रही ?
वो कल भी सब सहती रही
वो आज भी रोती रही
है वो नारी तो क्या हुआ
दर्द तो उसमें भी है
एक रूह तो उसकी भी है
फ़िर भी वो लड़ती रही
हर ग़म से वो मिलती रही
सीता को भी देनी पड़ी
अग्निपरीक्षा चरित्र की
प्रेम की...
वो कल भी सब सहती रही
वो आज भी रोती रही
है वो नारी तो क्या हुआ
दर्द तो उसमें भी है
एक रूह तो उसकी भी है
फ़िर भी वो लड़ती रही
हर ग़म से वो मिलती रही
सीता को भी देनी पड़ी
अग्निपरीक्षा चरित्र की
प्रेम की...