वो सबेरा है, और मुझमें अंधियारा है..
वो सबेरा ढूंढता है, मुझे अंधेरों का सहारा है,
उसे रोशनी पसन्द है, और मुझमें अंधियारा है,
कहाँ से हो मिलन हमारा, दोनों दो जहान है,
एक पहर उसका है, तो एक पहर हमारा है,
दिल्लगी तो है एक दूजे से मगर क़भी मिलते नहीं,
मिटा देता है वजूद एक दूजे का, कुछ ऐसा मिलन हमारा है,
वो दिन भर भटकता है, मैं रात भर सिसकती हुँ,
हिज़्र में गुजरता है वक़्त, कुछ ऐसा मोहब्बत हमारा है,
वो निकलता है हर रोज़ वो एक नया सवेरा है,
और मैं ढलती हुँ, तन्हाइयों में, और मुझमें अंधियारा है..!!
#vishakhatripathi
© #vishakhatripathi
उसे रोशनी पसन्द है, और मुझमें अंधियारा है,
कहाँ से हो मिलन हमारा, दोनों दो जहान है,
एक पहर उसका है, तो एक पहर हमारा है,
दिल्लगी तो है एक दूजे से मगर क़भी मिलते नहीं,
मिटा देता है वजूद एक दूजे का, कुछ ऐसा मिलन हमारा है,
वो दिन भर भटकता है, मैं रात भर सिसकती हुँ,
हिज़्र में गुजरता है वक़्त, कुछ ऐसा मोहब्बत हमारा है,
वो निकलता है हर रोज़ वो एक नया सवेरा है,
और मैं ढलती हुँ, तन्हाइयों में, और मुझमें अंधियारा है..!!
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