...

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ओ बहना मेरी,,,
ओ बहना मेरी, तेरे जीवन में...
गम का कभी ना फ़ूल खिले ।
कभी नम बहतां, तेरी आंखों से...
ऐसा वक्त कभी ना तुमसे मिलें ।।

ओ बहना मेरी, पापा की परी...
तुकड़ा दिल का ममता से भरी ।
मां कहती थी, पहचान मेरी...
कैसे सहपाऊं यें तुझसे दूरीं ।।

जब भी कभी, नाराज़ हूं मैं...
तूं ही तों मनाने आतीं थीं ।
प्यारी-प्यारी बातों से तूं...
क्या खूब हमें, हंसाती थी ।।

तेरी याद हमेशा आतीं हैं...
क्यों छोड़ के दूर तूं जाती हैं ‌।
सबकी आंखों में नमी भरके...
विदाई तेरी हों जाती हैं ।।

तूं हंसती रहें, भरें जीवन में...
बहना-भाई का प्यार रहें ।
यहीं ख्वाइश हैं,‌ हर पल-पल में...
जब तक यें सूरज-चांद रहें ।।

© Gautam