...

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था सजदे में वक़्त भी ठहरा सा
भीगे हम-तुम कुछ ऐसे थे
थी,हया की बारिश सेहरा सा।

तरबतर हसरतों की जुम्बिश
कोरे मन पे कम्पन गहरा सा।

साँसों का साँसों पे बोसा
धड़कनों पे महक पहरा सा।

दो दिल यूँ मिले उल्फ़त में
था सजदे में वक़्त भी ठहरा सा।
© paras