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संकठा काका की बंगाल यात्रा😅😅
संकठा काका गांव के सीधे साधे व्यक्ति थे गांव में सबसे अलग पहचान थी उनकी क्योंकि उन्होंने 8 दर्जे तक पढ़ाई की थीं,😎😎
गांव में अलग ही रुतबा था संकठा काका का,वो इस बात से चौड़े होते रहते की मुझसे ज्यादा समझदार और पढ़ा लिखा कौन है इस गांव में,😎😎
एक बार काका को अपने मित्र बंगाल वाले रामप्रसाद गुप्ता की याद सताने लगी,तो काका ने अपने गांव में एक पंचायत बुलाई की,मुझे अपने मित्र रामप्रसाद गुप्ता से मिलने जाना है तो पंचायत मुझे बताए कैसे और कब जाएं बंगाल,,🤗
एक और व्यक्ति थे जो रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करते थे तब उन्होंने बताया कि काका सोमवार को एक ट्रेन जाती है खागा से बंगाल के लिए,🥰
काका के मन में खुशी नही समाई और गांव के सभी लोगों से दो दो रुपए इकट्ठा करके काका को बंगाल भेजने की तैयारी की जाने लगी,🤗
गांव में खुशी का माहौल था पहली बार कोई हमारे गांव का व्यक्ति ट्रेन में बैठेगा,😅
समय धीरे धीरे बढ़ते हुए सोमवार आ गया अब पूरा गांव इकट्ठा होकर काका की जय बोलते हुए गांव से निकल पड़े,😅😅

और काका को ट्रेन में बैठा दिया,काका ट्रेन में सीट पाते ही भावुक हो उठे,और बहते आंसुओं के साथ मुखिया जी ने काका को कुछ महत्वपूर्ण...