...

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क्यूंकि मैं लड़की थी


जंजीर कोई नही थी पांव में
फिर भी क्यों उड़ ना सकी मैं
मजबूरी भी कोई ना थी
फिर भी क्यों बढ़ ना सकी मैं
घुट के दब के रह गए
सपने क्यूं मेरे
मैं लड़की थी
क्या इसलिए मजबूर थी मैं
नियत तुम्हारी खराब थी, ज़िन्दगी हमारी बर्बाद
सोच तुम्हारी गलत थी पर जमाने ने हमें गलत ठहरा दिया
मै...