एक वेशया की बेटियां के अस्तित्व की आसीमता।।
वो वेशया कहती की यह देश आजाद हुआ,
मगर हम नहीं और ना ही हमारी बेटियां,
तो कैसे हम कह सकते हैं कि यह आजादी हमारी है या हमारे बेटियों,
क्योंकि देश कितना भी आजाद क्यों ना हो,
जब तक एक वैश्य सुपुत्री आहुतिका बन रही,
तब यह आजादी का अमृत मंथन हमारे लिए नहीं बल्कि सिर्फ जग के लिए है,
मेरी बेटियों के नाम सुनिए -
वह निर्भया है, वह हातरसवी है,
इसलिए मैं किन्नर कल्याणवी मूर्ति हूं?
क्योंकि कलियुग का अन्त एक किन्नर के ही हाथ से होगा?
लेखक द्वारा वर्णित करते हुए कहा गया!
इस पर प्रशनवाचक द्वारा बहुत ही अच्छा सवाल हुआ -यह कैसे संभव है ये महान पुरूष ज़रा मुझे कह बतलाए?...
मगर हम नहीं और ना ही हमारी बेटियां,
तो कैसे हम कह सकते हैं कि यह आजादी हमारी है या हमारे बेटियों,
क्योंकि देश कितना भी आजाद क्यों ना हो,
जब तक एक वैश्य सुपुत्री आहुतिका बन रही,
तब यह आजादी का अमृत मंथन हमारे लिए नहीं बल्कि सिर्फ जग के लिए है,
मेरी बेटियों के नाम सुनिए -
वह निर्भया है, वह हातरसवी है,
इसलिए मैं किन्नर कल्याणवी मूर्ति हूं?
क्योंकि कलियुग का अन्त एक किन्नर के ही हाथ से होगा?
लेखक द्वारा वर्णित करते हुए कहा गया!
इस पर प्रशनवाचक द्वारा बहुत ही अच्छा सवाल हुआ -यह कैसे संभव है ये महान पुरूष ज़रा मुझे कह बतलाए?...