...

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ओ बंदेया
उठ जा रे तु तो ओ बंदेया
जग जा रे तु तो ओ बंदेया

आंखों से क्यों अश्क बहाना
रातों को क्यों तन्हा बिताना
बैठा है क्यों तकलीफ़ में
थोड़ा तो इनसे लड़ के बताना

उठ जा रे तु तो ओ बंदेया
जग जा रे तु तो ओ बंदेया

रूठी है जो मंजिल तेरी
तो हंस के इसे थोड़ा मनाना
क्यों बातों में तुम आग दिखाओ
है मंजिल तो करके बताना

उठ जा रे तु तो ओ बंदेया
जग जा रे तु तो ओ बंदेया

आज तेरे संग कोई नहीं है
फिर भी तुझको चलना तो होगा
सुबहा ऐसे रोशन ना होगी
रातों को तुझको जगना तो होगा

उठ जा रे तु तो ओ बंदेया
जग जा रे तु तो ओ बंदेया

वास्ता रख मंजिल से खुद का
एक राह पे तुझको चलना होगा
उगना है तुझको फिर से यहां पे
तो पहले तुझको ढलना होगा

उठ जा रे तु तो ओ बंदेया
जग जा रे तु तो ओ बंदेया

गगन को देखो फ़ैला है कैसा
तुम भी बन जाओ आसमां के जैसा
जो ना कभी ख़त्म हो यहां पे
बनना है तुझको समंदर के जैसा

उठ जा रे तु तो ओ बंदेया
जग जा रे तु तो ओ बंदेया

नम है आंखें तो बंद कर लें तु तो
दिखाना नहीं ये दर्द सबको
दुनिया बड़ी...