...

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हम,हम न रहे
निगाहों में कभी कोई उम्मीद चमकती थी
आसमान बाहों में समा जाता था
वो सूरज आंखों में उतर आता था

वक्त है मगर बड़ा बेवफा
खेल सब बिगड़ गये
धरती भी पैरों के तले से...