...

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खैरियत
खैर क्या खैरियत पूछे
आपसे,
वक़्त कहाँ उस माँ के लिए भी (अनजान )

"लाख सवालों मैं एक सवाल करती
छोड़ कर तू मुझे चला गया था
जरुरी काम का हवाला देते हुए
इंतजार की घड़ी ख़त्म होने लगी थी
राह देखते हुए तेरी "



थोड़ी देर मैं एक पत्र
दे जाता कोई अनजान
"माँ जहाँ जाना है
चली जा "

लाख सवालों मैं बस यही सवाल मेरा
तुझसे
कब आएगा तू मिलने मुझसे
छोड़ कर तू गया था
मैं तो माँ हूँ
तेरा दुख देखा नही जाता
ना तेरे जैसे मुझे बहाना नही आता
क्यूंकि मैं तो सिर्फ
एक "माँ" हूँ