गिलहरी और गुड़ के चीले
#WritcoRapidPrompt1
Write a short story from your past that involves light or darkness in some way.
बात उन दिनों की है जब मैं मैट्रिक में पढ़ता था। गांव से जब सप्ताहिक अवकाश के बाद शहर पढने आता था तब मां मुझे गुड़ के चीले बनाकर साथ में भेजती थी। एक बार मां ने गुड़ के चीले बनाकर भेजें और मैं उनको स्कूल के बागवान भानी जी(जो कि हमारे परिचितथे) जो कि स्कूल का कुआं भी चलाते थे , उस कुएं के स्विच रूम में मैं चीला रखकर कक्षा में पढ़ने चला गया ।कक्षा के बाद वापस आया तो देखा, मेरे बैग में रखे प्लास्टिक में लपेटे हुए चीले गिलहरी ने कुतर दिए हैं और उसने जी भर कर खाए भी हैं और वो आराम से बेपरवाह बैठी थी। मुझे यह देख कर बड़ा दु:ख हुआ क्योंकि उनमें मां का प्यार भरा था पर साथ ही यह विश्वास भी मजबूत हुआ कि भगवान हर जीव पर कभी ना कभी मेहरबान जरूर होता है और एक दिन इसी तरह मेरे भी मनोरथ पूरे होंगे । इस विश्वास के साथ मैंने उस गिलहरी की तरह ही अवसरों को तलासना शुरू किया और उसी की तरह प्रयास जारी रखे। चीले तो गिलहरी खा गई थी मगर प्रेरणा की भूख मेरी जगा गई थी। इसको कहते हैं नुकसान में भी भलाई छिपी होना।।
© Mohan sardarshahari
Write a short story from your past that involves light or darkness in some way.
बात उन दिनों की है जब मैं मैट्रिक में पढ़ता था। गांव से जब सप्ताहिक अवकाश के बाद शहर पढने आता था तब मां मुझे गुड़ के चीले बनाकर साथ में भेजती थी। एक बार मां ने गुड़ के चीले बनाकर भेजें और मैं उनको स्कूल के बागवान भानी जी(जो कि हमारे परिचितथे) जो कि स्कूल का कुआं भी चलाते थे , उस कुएं के स्विच रूम में मैं चीला रखकर कक्षा में पढ़ने चला गया ।कक्षा के बाद वापस आया तो देखा, मेरे बैग में रखे प्लास्टिक में लपेटे हुए चीले गिलहरी ने कुतर दिए हैं और उसने जी भर कर खाए भी हैं और वो आराम से बेपरवाह बैठी थी। मुझे यह देख कर बड़ा दु:ख हुआ क्योंकि उनमें मां का प्यार भरा था पर साथ ही यह विश्वास भी मजबूत हुआ कि भगवान हर जीव पर कभी ना कभी मेहरबान जरूर होता है और एक दिन इसी तरह मेरे भी मनोरथ पूरे होंगे । इस विश्वास के साथ मैंने उस गिलहरी की तरह ही अवसरों को तलासना शुरू किया और उसी की तरह प्रयास जारी रखे। चीले तो गिलहरी खा गई थी मगर प्रेरणा की भूख मेरी जगा गई थी। इसको कहते हैं नुकसान में भी भलाई छिपी होना।।
© Mohan sardarshahari