।...विलुप्त होती मानवता...।
!!आदरणीय मानव वादी!!
कुछ खास एहसास के साथ अपनी बात आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूं गौर से पढ़ना मेरे जज्बातों को!
"ये वफ़ा भी उन दिनों की बात है यारों
जब मकान कच्चे और लोग सच्चे हुआ करते थे"
और आगे इरशाद सुनिए
"खुदी में डूब कर पा जा सुरांगे जिंदगी
तू अगर मेरा नहीं बनता न बन, अपना तो बन"
यक़ीन तो हो चला है कि करीब है हम विलुप्ति के, और हम कब का अपना वकार ओ इज्जत खो चुके है, हम तो बस मशीन बन कर रह गए इस दुनिया में!
थे यहां कुछ लोग वो जो...
कुछ खास एहसास के साथ अपनी बात आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूं गौर से पढ़ना मेरे जज्बातों को!
"ये वफ़ा भी उन दिनों की बात है यारों
जब मकान कच्चे और लोग सच्चे हुआ करते थे"
और आगे इरशाद सुनिए
"खुदी में डूब कर पा जा सुरांगे जिंदगी
तू अगर मेरा नहीं बनता न बन, अपना तो बन"
यक़ीन तो हो चला है कि करीब है हम विलुप्ति के, और हम कब का अपना वकार ओ इज्जत खो चुके है, हम तो बस मशीन बन कर रह गए इस दुनिया में!
थे यहां कुछ लोग वो जो...