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हुंडी -(भाग १)
पुराने समय की बात है,जब धन को एक जगह से दूसरी जगह भेजने के लिए हुंडी का प्रयोग किया जाता था। हुंडी का स्वरूप वर्तमान के वैध तरीके से चेक द्वारा या अवैध तरीके के हवाला के जैसा ही था। बात उस जमाने की है तब भारत का व्यापार थाईलैंड,फिलीपींस,आस्ट्रेलिया,यूरोप,अरबिस्तान मंगोलिया और अफ्रीका से बड़े पैमाने पर होता था। तब बैंकिंग का काम सेठ लोग किया करते थे।वे अपनी हुंडी जिसमे रकम लिख कर आगे किसी दूसरी जगह के सेठ को लिख देते थे।वह सेठ उस हुंडी को पहचान कर ,हुंडी लाने वाले आदमी को,हुंडी में लिखी रकम नकद में दे देता था।हुंडी प्रथा से यात्रा या प्रवास में नकदी साथ में ले जाने की जरूरत नहीं होती थी। उस समय भारत के पूर्व से पश्चिम तक के व्यापारिक थल मार्ग पर एक सत्यपुर नामक समृद्ध नगर आबाद था। उस शहर में कई नामचीन सेठ रहते थे, जिनकी हाट (प्रतिष्ठान) पर कई देशों के व्यापारी आते जाते थे।...