कल्पना में खोई लड़की
कल्पना में खोई लड़की
गुंजा बड़ी ही प्यारी और भोली सी लड़की थी उसके कोई भाई नही था वो अक्सर कल्पना देखती थी की मेरा भी भाई होता तो हम ये करते वो करते वो हमेशा अपने कल्पना में एक भाई देखती उससे बातें करती लेकिन उसकी किस्मत में भाई नही था फिर भी वो अपने कल्पना में भाई के साथ कभी प्यार कभी लड़ाई करते रहती थी उसकी माँ उसे अक्सर झिड़क देती थी।
अरे ओ गुंजा अपनी कल्पना से बाहर निकल और घर के काम भी कर ले नही तो ससुराल वाले समझेंगे की लड़की पागल या भूत प्रेत तो नही पकड़ लिया है जो अकेले में बड़बड़ाते रहती है।
बेचारी अपनी माँ से खूब डांट भी सुनती थी लेकिन कल्पना में जीना नही छोड़ती थी।
गुंजा और गुंजा की कल्पना दोनों एक दूसरे के बिना रह नही पाते।
धीरे धीरे वो बड़ी हो गईं एक दिन उसकी शादी हो गईं ससुराल चली गईं लेकिन वो अपने कल्पना में अपने भाई से मिलने के नही छोड़ पाई
ससुराल...
गुंजा बड़ी ही प्यारी और भोली सी लड़की थी उसके कोई भाई नही था वो अक्सर कल्पना देखती थी की मेरा भी भाई होता तो हम ये करते वो करते वो हमेशा अपने कल्पना में एक भाई देखती उससे बातें करती लेकिन उसकी किस्मत में भाई नही था फिर भी वो अपने कल्पना में भाई के साथ कभी प्यार कभी लड़ाई करते रहती थी उसकी माँ उसे अक्सर झिड़क देती थी।
अरे ओ गुंजा अपनी कल्पना से बाहर निकल और घर के काम भी कर ले नही तो ससुराल वाले समझेंगे की लड़की पागल या भूत प्रेत तो नही पकड़ लिया है जो अकेले में बड़बड़ाते रहती है।
बेचारी अपनी माँ से खूब डांट भी सुनती थी लेकिन कल्पना में जीना नही छोड़ती थी।
गुंजा और गुंजा की कल्पना दोनों एक दूसरे के बिना रह नही पाते।
धीरे धीरे वो बड़ी हो गईं एक दिन उसकी शादी हो गईं ससुराल चली गईं लेकिन वो अपने कल्पना में अपने भाई से मिलने के नही छोड़ पाई
ससुराल...