...

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परिज़ाद और पियानों....
ये धुन ये धुन कितनी अच्छी है ना रेहान "
"हाँ अच्छी तो है पर हम इस धुन को सिर्फ सुन सकते हैँ इस धुन को बना नहीं सकते "
"क्यों "(आश्चर्य से )
"क्योंकि ये धुन है एक पियानों की है और ये पियानों पिछले 50 साल से इसी दूकान मैं बज रहा है जिसकी कीमत हमारी औकात से बाहर है परिज़ाद "
'औकात से बाहर कैसे है '
"जाओ खुद ही पूछलो दूकानदार से "(मंद मंद हँसते हुए )
(परिज़ाद अपने छोटे छोटे क़दमों से 10 कदम की दुरी नापता हुआ )
'चिस्ती साहब अच्छी धुन है एक बार और बजाके दिखाओ "
(धुन सचमे बहुत ज्यादा दुःख वाली और अच्छी थी परिज़ाद को बहुत पसंद आई )
'क्या मैं बजा सकता हुँ...