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प्रेम कहानी Social Site वाली....
जी हां.. हममें से अधिकांश ने किया होगा.. स्वीकारोक्ति करने की हिम्मत कम में होगी,
वैसे ये उतनी अपवित्र या ना पाक ना होती है यदि शालीनता और मर्यादित हो की जाएं.., जी प्राइवेसी अर्थात् निजता का यदि सम्मान करते हुए दो विपरीत लिंगी यदि अपनी भावनाओं को बता आपस में खुश हो लेते हैं तो बुरा क्या है..
इन प्रेम कहानियों के किरदारों के नामों की आवश्यकता ना होती है ना ये रिश्तों रूपी संज्ञा के मोहताज होते हैं...
इसलिए ये बेबाक होते है हर जज़्बात शेयर कर हँसी मज़ाक में थोड़ा मन हल्का हो ही जाए तो हर्ज ही क्या.. सच कहूं तो हर रिश्तों में बंधे होते है आप.. सब की अपनी लक्ष्मण रेखाएं होती हैं.. यहां तक कि पति पत्नी के रिश्तों में भी मर्यादाओं का पालन करता है इन्सान की उसका साथी कही कोई गलत धारणा ना बना ले उसके बारे में.. इसलिए वहां भी बंधा रहता है इंसान..
कहते हैं दोस्ती का एक रिश्ता है जहां कुछ ना छिपा रहता है.. मैं कहता हूं वहां भी सीमित हो ही जीता है इंसान..
भला हो इन सोशल मीडिया का जहां यदि विचार मिल जाए किसी साथी से तो बेबाक हो आप कोई भी बातें कर सकते हैं.. बस प्राइवसी का यदि दोनो एक दूसरे का ख्याल रखें... बस ध्यान ये ही रखना है की निजिता उजागर ना करें... फिर दोनो उन्मुक्त हो इजहार करें मन की बातों का.. बने रहे एक प्रेम के रिश्ते में बिना कोई नाम दिए...
जान ले परख लें तब ऐतबार करें.. ध्यान रहे बस इतना की पहचान तब ही उजागर करे जब पुर्ण विश्वास हो जाए आपको.. जहां तक हो सके निजी जानकारियां कम ही सांझा करें.. और फिर मस्त रहे अपने सोशल मीडिया मित्र के साथ....
जहां ना कोई अपेक्षा होती है ना कोई जुड़े ही रहना है ये बंदिश..
जय राम जी की..
तो सभी को शुभकामनाएं.. सोशल मीडिया पर उपजे प्रेम की... आनन्द ले पर सतर्क रहें...
© दी कु पा